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रिवाॅल्वर रानी का करिश्मा

! अब लिखो बिना डरे !
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सुबह-सुबह पांडे जी अपनी टकली खोपड़ी पर नरमाई से हाथ फेरते हुए ब्राह्मणत्व के एंटीने को पकड़ते हुए, पार्क में बेंच पर समीप बैठे मिर्ज़ा साब से जोश भरे स्वर में बोले -” कुछ भी कहो यार टिल्लू के लौंडे के ब्याह में क्या हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। प्रेमिका रिवॉल्वर लेकर आई और ‘तमंचे पे खिसको ‘ गाने पर सबको नचाकर दूल्हे को लेकर फरार हो गयी। ये होता है सच्चा नारी सशक्तिकरण। ठीक ही तो कह रही थी। प्रेम हमसे और ब्याह किसी और से, ये न होगा बाबू। कसम से भक्त हो गए हैं, हम तो उस रिवॉल्वर रानी के, कैसे जबड़ों के बीच से खींचकर ले गयी अपने अच्छे दिन को। भक्त बनना है तो ऐसो के बनो, कोई जाकर बताओ उन अंध भक्तों को कैसे आते हैं अच्छे दिन। लाने पड़ते हैं भैया, जान जोखिम में डालकर। सीना कितने भी इंच का हो जिगरा होना चाहिए मिर्जा जिगरा।

rivolver rani

मिर्जा साब बुरा सा मुंह बनाते हुए बोले- पांडे रहने दो, उस दिन से ही घर में बेगम से तकरार चल रही है। बस मुंह से इतना निकल गया था कि हमारी वाली भी ऐसी हिम्मत कर लेती तो इस दोज़ख में न होते। अल्लाह सारा घर सिर पर उठा रखा है बेगम ने। उधर साहबज़ादे स्मार्ट फोन लेकर लगे हुए हैं फेसबुक से लड़कियों को अनफ्रेंड करने में, कहते हैं न जाने कौन सी रिवॉल्वर रानी बन जाये हमारे निकाह के वक्त। मैंने तो बस टाइम पास को फ्रेंड बनाया था।

पांडे जी मिर्ज़ा साब से सहानुभूति जताते हुए बोले – मिर्ज़ा साहबजादों की छोड़ो, पर तुम से बहुत हमदर्दी है। सबका मुकद्दर इतना बुलंद नहीं होता टिल्लू के लौंडे जैसा और मियां इस ड्रामे का अगला दृश्य भी कुछ कम रोचक तो न रहा। थाने में पुलिसवालों के सवालों का हंस-हंसकर जवाब देती रिवॉल्वर रानी और पास बैठा टसुए बहाता दूल्हा… जी में आया निकालकर चप्पल बजा डालूं इस कमबख्त लौंडे के, रोने की क्या बात है ? फिर ताज़्ज़ुब हुआ इस शेरनी को ये चूहा पसंद आया तो कैसे ?

पांडे जी की इस बात पर मिर्ज़ा साब थोड़े गंभीर होते हुए बोले – नहीं पांडे तू समझ नहीं पा रहा दूल्हे की बेबसी, उसका कहना है कि यदि रिवॉल्वर रानी से ब्याह न करूं, तो ये सुसाइड कर लेगी और करूं तो दूसरी वाली जेल भिजवा देगी। अब ये बताओ क्या सोचकर दूसरी से ब्याह करने चला था। सुसायड तो ससुरे को कर लेना चाहिए था रिवॉल्वर रानी को धोखा देने से पहले। एक बात और भी है पांडे रोयेगा तो ये दूल्हा जीवन भर। जो दुल्हन तमंचे की बल पर भरे मंडप से उठा लाई, वो एक घुड़की में ही कपड़े-भांडे न धुलवा ले इसमें शक की गुंजाइश नज़र नहीं आती।

पांडे जी असहमत होते हुए बोले- अमां मिर्ज़ा छोड़ो भी क्यों जले पर नमक छिड़कते हो। हमारी घरवाली कब तमंचे के बल पर उठकर लाई थी हमे, बर्तन-भांडे सब धोएं हैं हमने पर ऐसे टसुए न बहाये। मिर्ज़ा साब आसमान में शून्य को निहारते हुए बोले- सच कहते हो पांडे, इस ज़ुल्म से कौन बचा है, ये तो ज़िंदगी भर का रोना है। पांडे जी मामले की और गहराई में जाते हुए बोले- मिर्ज़ा इस घटना ने ये भी साबित कर दिया कि हमारी आधुनिक पीढ़ी की युवतियों में परम्परागत सोलह संस्कार के प्रति आस्था बाकी है। फेरों से पहले ही एंट्री ले ली रिवॉल्वर रानी ने। वो जानती होगी कि सप्तपदी के बाद तो बबुआ सात जन्मों के लिए बंध जायेगा किसी और स्त्री के साथ। मेरा सिक्स सेंस तो ये भी कह रहा कि अब ‘वट सावित्री व्रत’ के साथ-साथ ‘रिवॉल्वर रानी व्रत ‘ भी पूर्ण श्रद्धा के साथ आरम्भ हो जायेगा।

जैसे सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापस ले आयी थी, वैसे ही रिवॉल्वर रानी पराये होते अपने सुहाग को वापस लौटा लायी। यकीन मानो मिर्ज़ा, बड़ी-बूढ़ियां अब नयी पीढ़ी की विवाह योग्य कन्याओं को रिवॉल्वर रानी व्रत के लिए प्रेरित किया करेंगी। कहीं ऐसा न हो इस ‘रिवॉल्वर रानी व्रत ‘ की ऐसी धूम मचे कि कन्यायें मंगला-गौरी व्रत छोड़कर मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए बस इसी व्रत को करने की ठान लें। सोचता हूँ उद्यापन में दान में भोजन के साथ ब्राह्मणों को तमंचा भी दान किया जायेगा क्या इस व्रत में ?

मिर्ज़ा साब इस पर थोड़ा तुनकते हुए बोले- छोड़ो भाई… व्रत को मारो गोली, इधर हमसे तीन तलाक का अधिकार छीना जा रहा, इस पर तो औरतों के लिए बड़ी चीखती-पुकारती फिर रही हैं ये महिला संगठन की नेत्रियां और इस बहादुर रिवाॅल्वर रानी के लिए दो लफ्ज़ तारीफ के न निकले इन झांसी की रानियों के मुख से। पांडे जी समर्थन करते हुए बोले- ठीक कहते हो मिर्ज़ा पर क्या करें इन महिलाओं का… मेरी श्रीमती जी ने जब से ये समाचार टीवी पर देखा है, तब से बस यही कहे जा रही हैं… है कितनी बेसरम लड़की है। अब भला बेशर्मी क्या… कम से कम नए लौंडों को समझ में तो आ जायेगा कि इस आईपीएल में ट्वेंटी-ट्वेंटी नहीं सौ ओवर का मैच खेला जाता है … टेस्ट मैच है ये। दो दिन किसी लड़की से दिल बहलाया और माता-पिता के आज्ञाकारी बनकर कर ली फिर किसी दूसरी लड़की से शादी, अब न चलेगा मिर्ज़ा ऐसा।

मिर्ज़ा साब सहमति में गर्दन हिलाते हुए मजाकिया अंदाज़ में बोले- रहने दो पांडे… जिससे छिप-छिपकर मिलते थे तुम उसके ससुराल का पता मैं जानता हूँ। पांडे जी मिर्ज़ा साब की इस बात पर खिसियाते हुए बोले- हम आजकल के लौंडों जैसे न थे मिर्ज़ा, हमने मौका न दिया गिले-शिकवे का। हम तो बाबू जी को बहाने बनाकर टालते रहे पर ”वो” ही डोली में बैठकर विदा हो गयी। इसका मलाल हमें आज भी है मिर्ज़ा।

मिर्ज़ा साब ठंडी सांसें लेते हुए बोले- पांडे रिवाॅल्वर रानी ने करोड़ों दिलों में दफ़न हो चुके ऐसे ही मलालों को ज़िंदा कर डाला है पर दूल्हे ने एक बात कह कर सारे मर्दों की लाज रख ली कि मैं तो अपनी मर्ज़ी से रिवाॅल्वर रानी के साथ भागकर आया था मंडप से न कि रिवाॅल्वर के डर से। पांडे जी ने मिर्ज़ा साब की इस बात पर उनकी काजल लगी आँखों को गौर से देखते हुए पूछा- ऐसा क्या ? और मिर्ज़ा साब बायीं आँख दबाकर झूठियाती जुबान से बोले- सच में पांडे… और इसके बाद दोनों ठहाका लगाकर हंस पड़े।

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