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”स्व-वित्त पोषित संस्थान में

! अब लिखो बिना डरे !
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शीर्षक – ”स्व-वित्त पोषित संस्थान में ”

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
जो विराजते हैं ऊपर के पदों पर,
उनको होता है हक
निचले पदों पर
काम करने वालों को
ज़लील करने का,
क्योंकि
वे बाध्य नहीं है
अपने किये को
जस्टिफाई करने के लिए .

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
आपको नियुक्त किया जाता है,
इस शर्त के साथ कि
खाली समय में आप
सहयोग करेंगे संस्थान के
अन्य कार्यों में,
सहयोग की कोई सीमा नहीं और
प्रशासन संतुष्ट हो
ये जरूरी नहीं,
क्योंकि नियुक्त व्यक्ति
की स्थिति उस गरीब
लड़की से बेहतर नहीं होती
जो ब्याह दी जाये
जरा ऊँचे घर में,
उसके हर काम से
असंतुष्ट रहते हैं ससुरालिये,
सुनाई जाती है खरी खोटी ;
दिन रात, प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से ,
सुनना उसका नसीब है,
क्योंकि वो बहू भले ही अमीर हो
पर बेटी तो गरीब है.

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
उच्च पदस्थ विभूतियाँ ,
हर मुद्दे पर होती हैं सही,
नीचे वाले नहीं कर सकते
तर्क-वितर्क ,
यदि कोई करता है
बखेड़ा खड़ा
तो दिया जाता है उसे
धमकी भरा उदाहरण
‘एटीटयूड चेंज करो अपना ‘
हमने ‘फलाना’ को गत वर्ष कह दिया था
बिस्तर बांध लो अपना,
वैसे भी कोई काम नहीं रूकता
किसी के चले जाने से,
चल रहा था हमारा काम
पहले भी आपके आने से.

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
तैयार रहिये कटु-वचन सुनने के लिए ,
और बदतमीज़ आंसुओं से कहो
आँखों से बाहर मत आने के लिए ,
क्योंकि ज़हरीली मुस्कान के साथ
आपसे कहा जायेगा
‘ अब आप रोयेंगें ‘
हो सकता है ‘वो ‘ महानता
दिखाते हुए
दोनों हाथ जोड़कर
माफ़ी मांग ले ;
पर आप किसी गुमान में न रहें ,
वो तुरंत कह सकते हैं
‘ मैं माफ़ी इसलिए नहीं मांगता
क्योंकि मुझे कोई गिल्टी है ;
मुझे तो बस
मामला
निपटाने की जल्दी है .’

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
नियंत्रित किया जायेगा
आपका सहकर्मियों से
मिलना-जुलना ,
रखी जाएगी पैनी नज़र
और तलब किये जा सकते हैं आप ;
पूछा जायेगा फरमान न मानने का कारण ,
इशारों में बता दिया जायेगा
कि नहीं माने तो आपको भी
‘ हल्क़े ‘ में लिया जायेगा .

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
आप ‘ टूल’ हैं अधिकारी के ;
वो जैसे चाहे आपका उपयोग कर सकता है ,
‘ टूल’ बिगड़ने पर मरम्मत के तौर पर
आपसे पूछा जा सकता है
‘ क्या तकलीफ है आपको ?’
आप बताकर ; बिंदु से
कुछ दूर चलेंगें ,
वो समझायेंगे
तकलीफ तो हर काम में होती है ,
और थोड़ा घुमायेंगें
अर्द्ध-वृत्त बनायेंगें ,
आप उन्हें सह्रदय जान
थोड़ी सहानुभूति पाने के लिए
प्रयास करेंगें ,
अर्द्ध-वृत्त से आगे बढेंगें ,
बस उनका पारा चढ़ जायेगा
आँखें दिखाकर कहेंगें
‘ यदि नहीं कर सकते तो घर बैठो ”
और वृत्त पूरा हो जायेगा .

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
आपसे बड़ा स्वाभिमान
ऊपर वालों का है ,
उसके बाद उनकी
बहन-भाभी
भाई-देवर का है ,
आपकी नहीं औकात
आप उन्हें इग्नोर करें ,
उनकी मीठी-मीठी बातों पर
न गौर करें ,
यदि भूल से भी आप
ऐसी भूल करते हैं ,
वार गर्दन पर अपनी
अपने आप करते हैं .

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
गैर-कानूनी है छुट्टी की मांग ,
किसी के समर्थन में खड़ा होना
फंसा देना फटे में टांग ,
अन्याय के विरूद्ध बोलना
असहनशीलता है ,
मौन रहकर देखना
शालीनता है .

स्व-वित्त पोषित संस्थान में
इंसानी तहज़ीबों से दूर रहें ,
क्योंकि आप एक वस्तु हैं ;
जब तक आप में हैं उपयोगिता का गुण,
वो आपको रगड़ेंगे ,निचोंड़ेंगे
और फिर रिप्लेस कर देंगें
क्योंकि बाजार में नित नए
आइटम आ रहे हैं जो
आपसे अधिक उपयोगी हैं ;
टिकाऊँ हैं ,
इसलिए
सावधानी से जॉब करते रहिये ,
वे ढोलक पकड़ाएं पकड़ते रहिये ,
वे सुनाये सुनते रहिये ,
चापलूस सहकर्मियों की पॉलिटिक्स
से बचकर रहिये ,
स्वाभिमान को जेब में रखिये ,
जय भारत माँ की कहिये !
जय भारत माँ की कहिये !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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