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”दर्द दिल में है तेरे हम जानते हैं !”

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
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दर्द दिल में है तेरे हम जानते हैं !
ज़ख्म गहरे हैं तेरे हम जानते हैं !
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ग़मों की आग में तपकर मासूम सा ये दिल ,
धधकता सीने में तेरे हम जानते हैं !
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छलक आते हैं आसूँ  आँखों में बेशरम ,
नहीं बस में हैं तेरे हम जानते हैं !
…………………………………….
तज़ुर्बा कह रहा हमसे वफ़ा का है सिला धोखा ,
नहीं कुछ हाथ में तेरे हम जानते हैं !
………………………………..
क्यों सदमा सा लगा तुझको हकीकत जानकर ‘नूतन’
नहीं कोई साथ है तेरे हम जानते हैं !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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