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कौन सोच सकता था कि जो चौदह वर्षीय किशोर बाला भाभी की दो वर्षीय बिटिया को गोद में उठाये लाड़ करता घूमता है वही उसके साथ दुष्कर्म कर डालेगा .ठीक-ठाक घर का शालीन सा प्रतीत होता किशोर .उसके माता-पिता ने भी इस घटना का पता चलते ही अपना सिर पीट डाला था . आज तो उसका घिनौना चेहरा याद आते ही मन में आता है कि उसका चेहरा नोच डालूँ पर तभी याद आता है पुलिस को दिया गया उसका बयान .उसने स्वीकारा था कि ‘ वो फिल्मों में देखे गए कामुक दृश्यों से प्रेरित होकर ही ये कुकर्म कर गया . उसने इस कुकृत्य केलिए बच्ची को ही क्यों चुना ? इसका उत्तर देते हुए उसने कहा था कि चूंकि छोटी बच्ची न तो उसके इरादे भांप सकती थी न विरोध कर सकती थी ..इसीलिए उसने अपनी हवस मिटाने के लिए उसे चुना . ” इसे याद करते ही सोच में पड़ जाती हूँ कि क्या इस किशोर को सजा देने मात्र से समाज में बच्चियों व् महिलाओं के विरूद्ध बढ़ते ऐसे कुकर्मों पर लगाम लगाई जा सकेगी ? अंदर से उत्तर आता है नहीं .शायद इस पर लगाम लगाने के लिए फिर से माता-पिता को अपनाना होगा वही मर्यादित आचरण वो बच्चों को नैतिक रूप से इतना दृढ़ कर दें कि कामुकता का नग्न दर्शन भी उनके मन को भ्रमित न कर पाएं .ऐसे दृश्यों को देख-सुनकर वे स्वयं इनकी ओर से दृष्टि हटा लें और कान बंद कर ले …ये कहते हुए कि -ये अश्लील है !
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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