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फिर से जन्म लेकर आऊंगा !

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
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हुए न लक्ष्य पूर्ण किन्तु
मृत्यु द्वार आ गयी ,
देखकर मृत्यु को हाय !
ज़िंदगी घबरा गयी ,
हूँ नहीं विचलित मगर मैं ,
मृत्यु से टकराउँगा !
लक्ष्य पूरे करने फिर से
जन्म लेकर आऊंगा !
……………………………….
छोड़ दूंगा प्राण पर
प्रण नहीं तोड़ूँगा मैं ,
अपनी लक्ष्य-प्राप्ति से
मुंह नहीं मोड़ूँगा मैं ,
है विवशता देह की
त्याग दूंगा मैं अभी ,
पर नहीं झुक पाउँगा
मृत्यु के आगे कभी ,
मैं पुनः नई देह में
धरती पर आ जाऊंगा !
लक्ष्य पूरे करने फिर से
जन्म लेकर आऊंगा !
…………………………………
जन्म-मृत्यु क्रम निरंतर
सृष्टि का है चल रहा ,
देह पलटकर प्राण किन्तु
रूप नए धर रहा ,
सब अधूरे कर्म पूरे
कर रहा जो अंश है ,
उस परम -सत्ता का ये
तेजधारी वंश है ,
जन्म-मृत्यु-जन्म चक्र
मैं भी नित निभाउंगा !
लक्ष्य पूरे करने फिर से
जन्म लेकर आऊंगा !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

[घोषणा -यह रचना मौलिक व् अप्रकाशित है ]

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