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भावना को सब्ज़ी मंडी से लौटते हुए अचानक अपनी सहेली अनु मिल गयी .इधर-उधर की बातों के बाद दोनों की बातों के केंद्र में दोनों के बच्चे आ गए .भावना मुंह बनाते हुए बोली – क्या बताऊँ ! मेरा बेटा आठ साल का है और फेसबुक पर दिन-रात पता नहीं अपनी गर्ल-फ्रेंड से क्या चैट करता रहता है .मैं रोकती हूँ तो कहता है सुसाइड कर लूँगा !” अनु बड़ा सा मुंह खोलकर ”हा !” करती हुई बोली -” क्या बताऊँ मेरी बेटी ने भी नाक में दम कर रखा है . मोबाइल पर व्हाटस एप पर दिन भर आँख गड़ाए रहती है . अभी सातवें साल में है . पढ़ने को कहो तो बहाने बनाती है . तंग करके रख दिया है !” भावना उसके सुर में सुर मिलाते हुए बोली – हां ये तो है .वैसे भी कितना टाइम हम बच्चों पर लगा सकते हैं .घर के काम के बाद कुछ शॉपिंग , किटी पार्टी और पसंद के सीरियल ..सब कुछ छोड़ दें क्या !” अनु भावना का समर्थन करते हुए बोली -” …और क्या .हम कोई सिक्टीस -सवेन्टीस की माँ है क्या ? जिनकी अपनी लाइफ ही नहीं होती थी…सुबह से शाम तक बस बच्चे..बच्चे..बच्चे …आफ्टर ऑल ..हम आज की जागरूक महिलाएं हैं . ”
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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