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खोखली उदारवादिता -लघु कथा

! अब लिखो बिना डरे !
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गौतम उदारतावादी स्वर में बोला -”लिव-इन कोई गलत व्यवस्था नहीं…आखिर कब तक वही पुराने..घिसे-पिटे सिस्टम पर समाज चलता रहेगा ..विवाह ….इससे भी क्या होता है ? गले में पट्टा डाल दिया बीवी के नाम का और मियां जी घूम रहे है इधर-उधर मुंह मारते हुए .” सुरेश असहमति में सिर हिलाता हुआ बोला -” भाई मुझे तो लिव-इन बकवास की व्यवस्था लगती है . दो दिन मौज मनाई और हो लिए अलग ….नॉनसेंस !” गौतम उसकी हंसी उड़ाता हुआ बोला -” ये………….ये ही है परंपरावादियों की कमजोरी ..साला आज कोई स्वीकार नहीं करेगा और बीस साल बाद कहेंगें …लिव -इन ही ठीक व्यवस्था है .” सुरेश कुछ कहना ही चाहता था कि अंदर से गौतम की पत्नी की आवाज़ आई -” अजी सुनते हो ..जवान लड़की अब तक घर नहीं लौटी जरा देख कर तो आओ …रात के नौ बजने आ गए !” गौतम का चेहरा ये सुनते ही गुस्से से तमतमा उठा .वो भड़कता हुआ बोला -” अब बता रही हो ..डूब कर मर जाओ …अभी देखता हूँ ..क्या कहकर गयी थी वो ..कहाँ गयी है ?” गौतम की पत्नी अंदर से ही बोली -” कह रही थी शिवम के साथ थियेटर जाएगी ..कोई नाटक का मंचन है …पर अब तक तो लौट आना चाहिए था !” गौतम चीखता हुआ बोला -” हद हो गयी ..मुझ से बिना पूछे ही किसी लड़के के साथ घूमने चल दी …आज फिट करना ही होगा उसे .” गौतम को भड़कते देख सुरेश उसे समझाते हुए बोला -” थियेटर ही तो गयी है ..आ जाएगी …ट्रैफिक का हाल तो तुम जानते ही हो …अच्छा भाई मैं भी चलता हूँ !” ये कहकर सुरेश गौतम के घर से निकल लिया और मन में सोचने लगा -” वाह भाई वाह ..लिव-इन ….लड़की का कुछ देर किसी लड़के साथ घूमना तक तो गंवारा नहीं और करते हैं लिव-इन की वकालत !!”

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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