Menu
blogid : 12171 postid : 853326

पाप-पुण्य की कसौटी

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
  • 580 Posts
  • 1343 Comments

पाप-पुण्य की कसौटी -एक लघु कथा

प्रभात के घर  आज  गुरुदेव आने  वाले  थे  .गुरुदेव का सम्मान  प्रभात का पूरा  परिवार  करता है .गुरुदेव ने ज्यों ही उनके  मुख्य द्वार पर अपने चरण कमल रखे तभी वहीँ पास में बैठा प्रभात का पालतू कुत्ता बुलेट उन पर जोर जोर से भौकने लगा .गुरुदेव के उज्जवल मस्तक पर क्षण भर को कुछ लकीरें उभरी और फिर होंठों पर मुस्कान .गुरुदेव ने स्नेह से बुलेट के सिर पर हाथ फेरते  हुए कहा- ”शांत हो जाओ मैं समझ गया हूँ .ईश्वर तुम्हे मुक्ति प्रदान करें !”  गुरुदेव के इतना कहते ही बुलेट शांत हो गया और अपने स्थान पर जाकर बैठ गया .वहां उपस्थित प्रभात सहित उसके परिवारीजन यह देखकर चकित रह गए क्योंकि बुलेट को शांत करना वे सभी जानते थे कि बहुत मुश्किल होता है .थोड़ी देर बाद जब गुरुदेव ने अपना निर्धारित आसन ग्रहण कर लिया तब गंभीर व् अमृततुल्य वाणी में वे कोमल स्वर में बोले –  ”आप सभी चकित हैं कि आपका प्रिय जीव मुझसे क्या कह रहा था ? प्रभात ये जो श्वान योनि में है पिछले जन्म में ये एक सर्राफ था और तुम इससे उधार लेने वाले गरीब किसान .जब तुम उधार लौटाने  इसकी गद्दी पर गर्मी में जाते  ये तुम्हे बाहर धूप में इंतजार करवाता और खुद शीतल कमरे में बैठता .इसीलिए आज ये तुम्हारे द्वार पर सर्दी-गर्मी के थपेड़े खाता है ….पर तुम दयालु हो ….इसका ध्यान रखते हो …खाने को देते हो …सर्दी गर्मी में इसे लू-ठंड के थपेड़ों से बचाने का प्रयास करते हो क्योंकि कहीं  न कहीं तुम्हारे सूक्ष्म शरीर में पिछले जन्म में इससे लिए गए उधार का बोझ बना हुआ है .आज मेरे  यहाँ प्रवेश करते ही ये जीव मुझसे कहने लगा -मुझे इस नारकीय जीवन से मुक्ति दिलवाइए !मैंने स्नेह से इसके मस्तक पर हाथ फेरा तो निज पाप कर्मों की अग्नि से तपती इसकी आत्मा को ठंडक पड़ी . और यह शांत भाव से बैठ गया .हम सभी के लिए यह एक उदाहरण है कि हमें अपना हर कर्म पाप-पुण्य की कसौटी पर कसकर ही करना चाहिए अन्यथा विधाता आपको दण्डित अवश्य करेंगें ! जय भोलेनाथ की !!” गुरुदेव के यह कहते ही सब उनके चरणों में नतमस्तक हो गए .


शिखा कौशिक ‘नूतन’

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply