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सातों सुर सातों रंग संग लाती है हर बिटिया !

! अब लिखो बिना डरे !
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सातों सुर सातों रंग संग लाती है हर बिटिया !
बेसुरी बदरंग उसके बिन है ये सारी दुनिया !
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इसकी किलकारी इसकी मुस्कानें अंगना में लाती बहारें ,
ले लो गोदी ज़िद करती है , तब बरसें ठंडी फुहारें ,
नन्हें हाथों से ये लुटाती है भोली-भली हज़ारों खुशियां !
सातों सुर सातों रंग संग लाती है हर बिटिया !
बेसुरी बदरंग उसके बिन है ये सारी दुनिया !
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ये ही जननी है , ये ही पुत्री है ,ये ही पत्नी , यही है बहना ,
इसकी ममता का , समर्पण का ,स्नेह का क्या कहना ,
ये कली ही तो चटककर महका देती सारी बगिया !
सातों सुर सातों रंग संग लाती है हर बिटिया !
बेसुरी बदरंग उसके बिन है ये सारी दुनिया !
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इसके सपनों को सच करना है फिर भरेगी ये ऊँची उड़ान ,
इसको आने दो इस दुनिया में ये भी तो प्रभु का वरदान ,
अब चहकने दो मीठा-मीठा सा नन्ही चिड़िया सी प्यारी गुड़िया !
सातों सुर सातों रंग संग लाती है हर बिटिया !
बेसुरी बदरंग उसके बिन है ये सारी दुनिया !

डॉ. शिखा कौशिक ‘नूतन’

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