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”मै” पर ”हम” की विजय का विराट पर्व’

! अब लिखो बिना डरे !
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”असत्य पर सत्य की; अभिमान पर स्वाभिमान की;
अंधकार पर प्रकाश की; पाप पर पुण्य की’
अमंगल पर मंगल की; अनीति पर नीति की’
‘ विजय का विराट पर्व’
क्रूरता पर करुणा की ; वासना पर प्रेम की ;
उदंडता पर अनुशासन की; निर्लज्जता पर मर्यादा की;
विषाद पर आनंद की ;द्वेष पर सहिष्णुता की’
‘विजय का विराट पर्व’
निष्ठुरता पर संवेदनशीलता की; क्रोध पर क्षमा की;
तामसिकता पर सात्विकता की; लोकपीडा पर लोकमंगल की;
दुश्चरित्रता पर सच्चरित्रता की; संकुचित पर उदात्त की;
‘विजय का विराट पर्व’
भक्षक पर रक्षक की; दुष्ट पर दयावान की;
शत्रुत्व पर बन्धुत्त्व की; ”मै” पर ”हम” की;
रावन पर श्री ‘राम’ की
‘विजय का विराट पर्व
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shikha kaushik ‘nutan’

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