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चौदह बरस वनवास काट राम बन कर देख !

! अब लिखो बिना डरे !
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चौदह बरस वनवास काट राम बन कर देख !


कैसे सहे जाते हैं होनी के लिखे लेख ?

चौदह बरस वनवास काट राम बन कर देख !


कैसे निभाते कुल की रीत ; प्रिय पिता से प्रीत ,

शांत कैसे करते हैं कैकेयी उर के क्लेश ?

चौदह बरस ………………..



होना था जिस घड़ी श्री राम का अभिषेक ,

उसी घड़ी चले धर कर वो तापस वेश !

चौदह बरस ……………………



कैसे चले कंटकमय पथ पर संग सिया लखन ?

काँटों की चुभन पर भरते न आह लेश !

चौदह बरस वनवास काट ……


कैसे भरत उर शांत किया चित्रकूट में ?

निज निज निभाओ धर्म सब देते हैं ये सन्देश .

चौदह बरस वनवास काट ……..


पंचवटी में छल से सिया हरण , जटायु -मरण ,

कोमल ह्रदय श्री राम सहते कैसे ये वज्र ठेस ?

चौदह बरस वनवास काट ……




हनुमत से दास से मिलन , सुग्रीव -मित्रता ,

बालि का वध , चौमास ताप , सिया -स्मृति अनेक .

चौदह बरस वनवास …..


सिया सुधि , सेना -गठन , दक्षिण को फिर गमन ,

कैसे बना राम-सेतु  ? किया लंका में प्रवेश .

चौदह बरस …………….


लंका पर चढ़ाई ,  कटा रावण-शीश ,

अग्नि-परीक्षा सीता की , हुए राम -सिया एक .

चौदह बरस …………….

पुष्पक विमान पर चले फिर अवध की और ,

धीरज से काट दुःख के दिन देते प्रभु संकेत  .

चौदह बरस …………………..

शिखा कौशिक ‘नूतन’





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