! अब लिखो बिना डरे !
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टैबलेट के हुक्म पर चलती है जिन्दगी
बन गयी दवाओं की गुलाम जिन्दगी .
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सिर में दर्द है तो बाम लगा लो
नयनों में हो पीड़ा ये ड्रॉप टपका लो
गोली के इशारो पर अब नाचे जिन्दगी
बन गयी …………
पानी -दूध-फल ताकत नहीं लाते
कैप्सूल -सीरप शक्ति हैं बढ़ाते
कडवी दवाओं ने कर दी कडवी जिन्दगी
बन गयी दवाओं ………
हर घर में आती है अब रोज़ दवाई
पानी जैसी बहती मेहनत की कमाई
लगती अस्पताल सी अब सबकी जिन्दगी
बन गयी दवाओं ……..
जिसने कारोबार दवाओं का कर लिया
नोटों से अपना घर है भर लिया
कर डाली दवाओं ने नीलाम जिन्दगी
बन गयी ……………………
शिखा कौशिक ‘नूतन ‘
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