! अब लिखो बिना डरे !
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खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .
हमने लिहाज़ के टूटे बिखरे टुकड़े देखे ;
हमने माँ को गाली देते बेटे देखे .
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जिनको गोद उठाकर अब्बा खुश होते थे ;
उनके कारण रोते हमने अब्बा देखे .
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जो खाते थे एक रोटी में आधी आधी
भाई ऐसे क़त्ल भाई के करते देखे .
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लाये थे लक्ष्मी कहकर जिसको अपने घर
उस लक्ष्मी को आग लगाते दानव देखे .
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कोख में कलियों को मसलते माली देखे;
खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
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