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उमा भारती जी ने प्रियंका गांधी जी द्वारा अपने पतिदेव पर राजनैतिक -विद्वेष के कारण किये जा रहे अनर्गल आरोपों पर पलटवार करने पर कहा है कि –
” ‘वाड्रा को जेल भेजने की बात पर घरेलू महिला की तरह रो रही हैं प्रियंका .उन्होंने कहा कि प्रियंका से उनका कोई मुकाबला नहीं है। प्रियंका घरेलू महिला हैं, जबकि वह चार बार विधायक व पांच बार सांसद रह चुकी हैं। एक बार मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री भी रही हैं। प्रियंका को राजनीति की जानकारी भी नहीं है।.”
मैं उमा जी से केवल इतना पूछना चाहती हूँ कि वे प्रियंका जी को घरेलू औरत कहकर प्रियंका जी का अपमान करना चाहती हैं या घरेलू औरत को कमजोर , परस्थितियों का सामना न कर सकने वाली ,अनपढ़ ,गंवार और भी न जाने क्या प्रदर्शित कर उसका अपमान करना चाहती हैं .
यदि आज समाज के स्वस्थ निर्माण में किसी का सर्वाधिक योगदान है तो वो केवल इस घरेलू महिला का ही है .इस घरेलू महिला ने पति -बच्चों को हर परिस्थिति में संभाला है .इसी घरेलू महिला की प्रेरणा से संतानें विभिन्न क्षेत्रों में कामयाबी का झंडा गाड़ती हैं .यही घरेलू महिला रात भर जागकर परीक्षाओं के समय बच्चों को चाय बना -बना कर देती है और परिवार में किसी भी दुर्घटना के समय अपने आंसू पी कर लड़खड़ाते परिवार की बैसाखी बन जाती है .इस घरेलू महिला को एक शब्द भी कहते समय उमा जी को सोच लेना चाहिए कि विधायक -सांसद तो ये भी बन सकती है पर क्या कोई विधायक या सांसद महिला सारे दिन केवल इस इंतज़ार में खाना बनाकर रख सकती है कि उसके बच्चे -पति भूखे -प्यासे बाहर से आयेगें और वो उनके लिए खाना परोसेगी ,बच्चों की कच्ची-पक्की बातें सुनकर उनका नैतिक मार्ग-दर्शन करेगी और अपने परिवार को ,अपने बच्चो को कभी समाज-विरूद्ध कार्यों में नहीं पड़ने देगी .उमा जी की माता जी भी तो घरेलू महिला रही होंगी .क्या उमा जी ने उन्हें कमजोर पाया ?
उमा जी को तुरंत अपने इस बयान पर माफ़ी मांगनी चाहिए क्योंकि यदि घरेलू महिला को वे कमजोर कहेंगी तो ये सूर्य की ओर धूल उछालने जैसा होगा जो पलट कर डालने वाले के मुंह पर ही पड़ेगी .ऐसा ब्यान एक महिला का दूसरी महिला के खिलाफ सबसे अभद्र श्रेणी का बयान कहलाया जायेगा .
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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