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”बड़ी बेशर्म औरत है ”

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
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नहीं पर्दा ये करती है बड़ी बेशर्म औरत है ,
ये शौहर से जो लड़ती है बड़ी बेशर्म औरत है !
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उठाया हाथ शौहर ने दिखाई आँख इसनें भी ,
नहीं शौहर से डरती है बड़ी बेशर्म औरत है !
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कहा शौहर ने देखो हद तुम्हारी घर की चौखट है ,
वो चौखट पार करती है बड़ी बेशर्म औरत है !
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करो शौहर की तुम खिदमत रहे दम ज़िस्म में जब तक ,
वो इससे भी मुकरती है बड़ी बेशर्म औरत है !
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उसे समझाओ ‘नूतन’ चीज़ है वो मन बहलाने की ,
वो खुद को क्या समझती है !!बड़ी बेशर्म औरत है !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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