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”आ गयी नवरात्रि मैय्या मेरे घर आना ”

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”आ गयी नवरात्रि मैय्या मेरे घर आना ”

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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देवी मंडप में पहले दिन जो पूजी जाती माता ,

शैलपुत्री नाम है उनका पर्यावरण की वे त्राता ,

शिव संग इन्हें पूजकर हिमपुत्री दर्शन पाना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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दिवस दूसरे ब्रह्मचारिणी का  करते हैं पूजन ,

सृष्टि की निर्मात्री माँ आदि-शक्ति पावन ,

शिशु-जन्म की नींव पड़ी माता का गौरव जाना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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तीसरे दिन ”चंद्रघंटा ” का करते हैं आराधन ,

दसों भुजाओं वाली माता सिंह है इनका वाहन ,

माँ घंटे की ध्वनि से प्रेतों को दूर भगाना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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”कूष्माण्डा” माँ की पूजा चौथे दिन हैं करते ,

इनके ‘ईशत हास्य’ से अन्धकार सब हरते ,

सभी में स्थित तेज है जो मेरी माता की है छाया !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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दिवस पांचवे जिन देवी को घर-घर पूजा जाता ,

तारकासुर- नाशक  स्कन्द की हैं माता ,

माँ-बेटे के पावन स्नेह का सृष्टि गाती गाना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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‘कात्यायनी” माँ का होता छठे दिवस फिर पूजन ,

तृष्णा व् तुष्टि की शक्ति देती सन्देश ये पावन ,

वश में कर लेता इंद्री मन को पुत्री जब माना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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सप्तम दिवस माँ कालरात्रि का करते सब हैं पूजन ,

दुष्ट-विनाशक ,शुभंकरी माँ कहलाती भय-भंजन ,

सिद्धि के सब द्वार मात अब जल्दी से खुलवाना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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अष्टमी के दिन होता माँ गौरी का  आराधन ,

श्वेत -वृष आरूढ़ हैं माता गृहस्थों का करती मंगल ,

चंडी, दुर्गा तेरे बल का लोहा सब ने माना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

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नवम तिथि को सिद्धिदात्री माँ को पूजा जाता ,

पृथक नहीं सृष्टि में कुछ भी सब मात में आ समाता ,

अर्थ की देवी भंडारे भक्तों के भरती  जाना !

धर कर रूप कन्या का मैय्या दर्शन दे जाना !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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