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आडवाणी जी का दिल तो दुखता है मगर …

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
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दिल तो दुखता है बयान कर नहीं सकते यारों,

कितने बेबस हैं बयां कर नहीं सकते यारों !

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उम्र गुज़रती गयी ख्वाब पूरा न हुआ ,

कितना अफ़सोस है  बयां कर नहीं सकते यारों !

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अब तो शागिर्द ही उस्ताद के उस्ताद हुए ,

कितनी खुन्नस है बयां कर नहीं सकते यारों !

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अपने  ही काटते गर्दन ये सियासत कैसी ,

मौत की फांस  है बयां कर नहीं सकते यारों !

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हमारे मशविरे की अब नहीं कीमत ‘नूतन’,

हमें अहसास है बयां कर नहीं सकते यारों !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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