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”हम भारत माँ के शहज़ादे !”

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
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खेतों में खलियानों में ,संसद के गलियारों में ,
हम दफ्तर में , हम थानों में ,
हम खेलों के मैदानों में ,
हम पर्वत पर हम सागर में ,
हम सीमा पर हम घर -घर में ,
युवा – शक्ति हैं हम बुलंद हैं इरादे
हम भारत माँ के शहज़ादे !
………………………………………
बढाकर कदम पीछे हटते नहीं ,
हमें देख खतरे भी टिकते नहीं ,
फौलादी सीनें हैं फूलों सा दिल ,
दुश्मन के आगे भी झुकते नहीं ,
‘जय हिन्द ‘फ़िज़ा में गूँजा दें !
हम भारत माँ के शहज़ादे !
………………………………….
सपना हर एक करना साकार है ,
कोशिश को देना आकार है ,
वतन की तरक्की का मकसद लिए
चुनौती हर एक हमको स्वीकार है ,
तिरंगा गगन में फहरा दें !
हम भारत माँ के शहज़ादे !
……………………………………..
आते हैं जब राजनीति में हम ,
जन-जन की सेवा की लेते कसम ,
जनतंत्र के प्रहरी हैं हम ,
जनता की आवाज़ बनते हैं हम ,
सोते हुए को जगा दें !
हम भारत माँ के शहज़ादे !

शिखा कौशिक ‘नूतन ‘

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