! अब लिखो बिना डरे !
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जीवन के अर्णव में डूबे ढूंढी दो पहचानें !
आँखों में आंसू के मोती अधरों पर मुस्कानें !
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आशा का उज्ज्वल प्रभात व् गहन निराशा -तम भी ,
नवजात शिशु की किलकारी व् मृत्यु का मातम भी ,
एक हवेली जीवन जिसमें सुख-दुःख के तहखाने !
आँखों में आंसू के मोती अधरों पर मुस्कानें !
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स्वप्नों की मेंहदी रचती व् उजड़े मान किसी की ,
एक के सिर पर सेहरा सजता अर्थी उठे किसी की ,
मीठा-कड़वा फल-जीवन जो चूसे वो ही जाने !
आँखों में आंसू के मोती अधरों पर मुस्कानें !
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मेहनत कर एक हाड़ गलाता दो रोटी न पाता ,
बिन मेहनत के कोई कोई मेवे रोज़ चबाता ,
कोई पीटता छाती अपनी कहीं गाने और बजाने !
आँखों में आंसू के मोती अधरों पर मुस्कानें !
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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