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गणतंत्र दिवस का शुभ अवसर ; प्रफुल्लित भारत जन-गण-मन !
गर्वित , हर्षित , आह्लादित है ; भारत भूमि का कण-कण !
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पूर्ण-प्रभुता हमने पाकर इस दिन थी हुंकार भरी ,
राजतन्त्र के महल ध्वस्त कर लोकतंत्र की नींव धरी ,
सकल विश्व ने माना लोहा हम हैं बल-बुद्धि-संपन्न !
गर्वित , हर्षित , आह्लादित है ; भारत भूमि का कण-कण !
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हर भारतवासी ने पाये इस दिन मौलिक छह अधिकार ,
भेदभाव का हुआ अंत न धर्म-लिंग होगें आधार ,
अधिकारों के साथ करें सब निज कर्तव्यों का पालन !
गर्वित , हर्षित , आह्लादित है ; भारत भूमि का कण-कण !
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मिटे गरीबी और अमीरी बीच खुदी गहरी खाई ,
पूँजीवाद को किया किनारे बने समाजवादी भाई ,
भूखा न सो पाये कोई मिले सभी जन को भोजन !
गर्वित , हर्षित , आह्लादित है ; भारत भूमि का कण-कण !
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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