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तमाचा-लघु कथा [contest ]

! अब लिखो बिना डरे !
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अख़बार की रविवार -मैगजीन में छपी ग़ज़ल पढ़ते हुए टीटू की नज़र ग़ज़ल के नीचे छपे लेखिका के संपर्क नंबर गयी . ग़ज़ल अच्छी लगी तो उसने तुरंत अपने मोबाइल से लेखिका के दिए गए संपर्क नंबर पर कॉल कर दी .कॉल दूसरी ओर से रिसीव किये जाते ही टीटू ने लेखिका से उसकी ग़ज़ल की तारीफ की और पूछा -” यदि आपके इस नंबर पर आपसे वैसे भी बात कर लूँ तो कोई दिक्कत तो नी जी ?” टीटू के इस प्रश्न के जवाब में लेखिका ने गम्भीर स्वर में पूछा -” यदि मेरी जगह तुम्हारी बहन से फोन पर कोई अजनबी यही प्रश्न करता कि ”बात करने में कोई दिक्कत तो नी जी ” तब तुम्हारा जवाब क्या होता ? वही मेरा जवाब है .” लेखिका के ये कहते ही टीटू ने फोन काट दिया .उसे लगा पुरुषवादी सोच का तमाचा एक स्त्री ने उसके ही मुंह पर मार दिया है .

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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