! अब लिखो बिना डरे !
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चुभने लगा है मेरे शौहर का हर सवाल ,
देता है दर्द गहरे शौहर का हर सवाल !
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क्यूँ बात कर रही थी तुम गैर मर्द से ?
रखता है सख्त पहरे शौहर का हर सवाल !
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किसने सिखाया तुमको शौहर से बहस करना ?
चेहरे को मेरे घूरे शौहर का हर सवाल !
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अब तक कहाँ थी बेगम ?जब पूछते अकड़कर ,
चारो तरफ से घेरे शौहर का हर सवाल !
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‘नूतन’ जवाब क्या दे शौहर हो अगर ऐसे ,
जो पूछ बने बहरे शौहर का हर सवाल !
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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