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मान जाओ बेग़म घर छोड़ कर न जाना ,
इसे कौन संभालेगा ?घर छोड़ कर न जाना !
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सबसे पहले जागना , आँगन बुहारना ,
घर कौन संवारेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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सुबह की पहली चाय ,शेविंग का गरम पानी ,
भला कौन उबालेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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मुन्नी के रिबन कसकर दो चोटियां बनाना ,
मुन्ना भी पुकारेगा ,घर छोड़ कर न जाना !
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अम्मी की कड़वी बातें और अब्बू का अकड़ना ,
गले कौन उतारेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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आलू मटर की सब्ज़ी ,गाज़र का मीठा हलवा ,
कौन पूरी उतारेगा ? घर छोड़ कर न जाना !
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बर्तन से लेकर कपडे ,दिन -रात चौका -चूल्हा ,
कौन खुद यूँ मारेगा ?घर छोड़ कर न जाना !
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‘नूतन’ सुनो है भोली ; बेबस ,नादान ,बेग़म ,
शौहर मना ही लेगा घर छोड़ कर न जाना !
शिखा कौशिक ‘नूतन’
DATE-4DECEMBER2013 PUBLISHED IN DAINIK JAGRAN BLOGS
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