! अब लिखो बिना डरे !
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बलात्कार से सम्बंधित कानून में बालिग व् नाबालिग का अंतर ख़त्म होना चाहिए क्योंकि बलात्कार करने वाला कभी नाबालिग नहीं होता .इसका सम्बन्ध उम्र से नहीं अपराध से जोड़ा जाना चाहिए .दामिनी के साथ न केवल बलात्कार बल्कि दरिंदगी की सारी सीमायें पार करने वाला अफरोज यदि नाबालिग के आधार पर कानून से बच जाता है तो यह पूरे मानवीय समाज के मुंह पर तमाचा मारे जाने जैसा है .वैसे भी अफरोज मुसलमान है और मुस्लिम कानून के अनुसार वो बालिग है .अफरोज को यदि भारतीय कानून ने फाँसी पर नहीं चढ़ाया तो भारतीय समाज में एक गलत सन्देश जायेगा जिसका खामियाजा भविष्य में भारतीय समाज को भुगतना होगा .
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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