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हिंदुस्तान जैसा आशिक न मिलेगा ..घाटी

! अब लिखो बिना डरे !
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Kashmir Garden Pictures

देर न हो जाये घाटी आज जाग जा ,
मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा !

हिंदुस्तान जैसा आशिक न मिलेगा ,
गुमराह न हो सैय्याद की चाल जान जा !


जो हाथ थाम मेरा साथ चलेगी ,
मंजिल तरक्की की तुझे रोज़ मिलेगी ,
खामोश न रह मेरे संग चीख कर दिखा !

मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा !

नोंचने की है पडोसी की तो आदत ,
अस्मत बचाई तेरी देकर के शहादत ,
नादान न बन आ मेरी हिफाज़त में तू आ जा !
मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा !

करना है फैसला तुझे रख नेक इरादा  ,
मेरी अज़ीज़ तू रही है जान ज्यादा ,
है इश्क़ दूध मेरा केसर सी तू घुल जा !
मेरी वफ़ा का दे सिला अलगाव भूल जा !

शिखा कौशिक ‘नूतन ”

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