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वो लड़की…. रौद दी जाती है अस्मत जिसकी

! अब लिखो बिना डरे !
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वो लड़की

रौंद दी जाती है  अस्मत जिसकी  ,

करती है नफरत

अपने ही वजूद से

जिंदगी हो जाती है बदतर उसकी

मौत से .


वो लड़की

रौद दी जाती है अस्मत जिसकी ,

घिन्न आती है उसे

अपने ही जिस्म से ,

नहीं चाहती करना

अपनों का सामना ,

वहशियत की शिकार

बनकर लाचार

घबरा जाती है हल्की सी

आहट से .


वो लड़की

रौद दी जाती है अस्मत जिसकी

समझा नहीं पाती खुद को ,

संभल नहीं पाती

उबर नहीं पाती हादसे से ,

चीत्कार करती है उसकी आत्मा

चीथड़े -चीथड़े उड़ गए हो

जिसकी गरिमा के

जिए तो जिए कैसे ?

वो लड़की
रौद दी जाती है अस्मत जिसकी
घर  से बहार निकलना
उसके लिए है मुश्किल
अब सबकी नज़रे
वस्त्रों में ढके उसके जिस्म पर
आकर जाती है टिक ,
समाज की कटारी नज़र
चीरने लगती है उसके पहने हुए वस्त्रों को ,
वो महसूस करती है खुद को
पूर्ण नग्न ,
छुटकारा नहीं मिलता उसे
म्रत्युपर्यन्त   इस मानसिक दुराचार से .
वो लड़की
रौद दी जाती है अस्मत जिसकी ……..

शिखा कौशिक ‘नूतन ‘




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