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कैसे बुज़ुर्ग दें उन औलादों को दुआ !

! अब लिखो बिना डरे !
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” जो शहर के इश्क में दीवाने हो गए ”

कस्बाई सुकून उनकी किस्मत में है कहाँ !

जो शहर के इश्क में दीवाने हो गए .


कैसे बुज़ुर्ग दें उन औलादों को दुआ !
जो छोड़कर तन्हां बेगाने हो गए .

दोस्ती में पड़ गयी गहरी बहुत दरार ,
हम तो रहे वही ; वो जाने-माने हो गए .

देखते ही होती थी  सब में दुआ सलाम ,
लियाकत गए सब भूल ;ये फसाने हो गए .

लिहाज के पर्दे फटे ; सब हो रहा नंगा ,
तहजीब ,शर्म , तमीज , अंधे -बहरे हो गए .

मासूमियत  में है मिलावट ; बच्चे हो रहे स्मार्ट ,
कहते हैं मत सिखाओं , तुम पुराने हो गए .

शिखा कौशिक ‘नूतन ‘

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