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श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !

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श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !

सर्वप्रथम आप जानिए ”संकष्टनाशनस्तोत्रं ” के बारे में –

”नारद” जी कहते हैं –

”पहले मस्तक झुकाकर गौरिसुत को करें प्रणाम ;

आयु,धन, मनोरथ-सिद्धि ;स्मरण से मिले वरदान ;

‘वक्रतुंड’ प्रथम नाम है ;”एकदंत” है  दूजा ;

तृतीय ‘कृष्णपिंगाक्ष’ है ;’गजवक्त्र’ है चौथा ;

‘लम्बोदर’है पांचवा,छठा ‘विकट’ है नाम,

‘विघ्नराजेन्द्र’ है सातवाँ ;अष्टम ‘धूम्रवर्ण’ भगवान,

नवम ‘भालचंद्र’ हैं ,दशम ‘विनायक’ नाम ,

एकादश ‘गणपति’ हैं ,द्वादश ‘गजानन’ मुक्तिधाम ,

प्रातः-दोपहर-सायं जो नित करता नाम-ध्यान ;

सब विघ्नों का भय हटे, पूरण होते काम  ,

बारह-नाम का स्मरण,सब सिद्धि करे प्रदान ;

ऐसी  महिमा प्रभु की उनको है सतत प्रणाम ,

इसका जप नित्य करो ;पाओ इच्छित वरदान ;

विद्या मिलती छात्र को ,निर्धन होता धनवान ,

जिसको पुत्र की कामना उसको मिलती संतान ;

मोक्षार्थी को मोक्ष का मिल जाता है ज्ञान ,

छह मास में इच्छित फल देता स्तोत्र महान ,

एक वर्ष जप करने से होता सिद्धि- संधान ,

ये सब अटल सत्य है ,भ्रम का नहीं स्थान ;

मैं ‘नारद ‘यह बता रहा ;रखना तुम ये ध्यान ,

जो लिखकर स्तोत्र ये अष्ट-ब्राहमण को करे दान ;

सब विद्याएँ जानकर बन जाता है विद्वान .”


प्रथम -पूजनीय -श्री गणेश [अष्ट विनायक ]

किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पूर्व ”श्री गणेशाय नम: ” मन्त्र का उच्चारण समस्त विघ्नों को हरकर कार्य की सफलता को सुनिश्चित करता है .पौराणिक आख्यान के अनुसार -एक बार देवताओं की सभा बुलाई गयी और यह घोषणा की गयी कि-”जो सर्वप्रथम तीनों लोकों का चक्कर लगाकर लौट आएगा वही देवताओं का अधिपति कहलायेगा .समस्त देव तुरंत अपने वाहनों पर निकल पड़े किन्तु गणेश जी का वाहन तो मूषक है जिस पर सवार होकर वे अन्य देवों की तुलना में शीघ्र लौट कर नहीं आ सकते थे .तब तीक्ष्ण मेधा सम्पन्न श्री गणेश ने   माता-पिता [शिव जी व्  माता पार्वती ] की परिक्रमा की क्योंकि तीनों लोक माता-पिता के चरणों  में बताएं गएँ हैं .श्री गणेश की मेधा शक्ति का लोहा मानकर उन्हें ‘प्रथम पूज्य -पद ‘ से पुरुस्कृत किया गया .

”अष्ट -विनायक ”

भगवान   श्री गणेश के अनेक   रूपों   की पूजा   की जाती  है .इनमे इनके आठ स्वरुप अत्यधिक प्रसिद्ध  हैं .गणेश जी के इन   आठ स्वरूपों   का नामकरण   उनके   द्वारा   संहार किये गए असुरों के आधार पर किया गया है

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हे अष्टविनायक तेरी जय जयकार !

हे गणनायक ! तेरी जय जयकार !

हे गौरी सुत ! हे शिव  नंदन !

तेरी महिमा  अपरम्पार

हे अष्टविनायक तेरी जय जयकार  !

प्रथम विनायक वक्रतुंड है सिंह सवारी  करता   ;

मत्सर असुर का वध कर दानव भगवन पीड़ा सबकी हरता ,

हे गणेश तेरी जय जयकार !

हे शुभेश तेरी जय जयकार !

द्वितीय विनायक एकदंत मूषक की करें सवारी ;

मदासुर का वध कर हारते विपदा सबकी भारी ,

हे गजमुख  तेरी जय जयकार

हे सुमुख तेरी जय जयकार .

नाम महोदर तृतीय विनायक मूषक इनका  वाहन  ;

मोहसुर का नाश ये  करते इनकी महिमा पावन ,

हे विकट तेरी जय जयकार !

हे कपिल तेरी जय जयकार !

चौथे रूप में प्रभु विनायक धरते नाम गजानन ;

लोभासुर संहारक हैं ये मूषक इनका वाहन ,

हे गजकर्णक तेरी जय जयकार !

हे धूम्रकेतु तेरी जय जयकार !

प्रभु विनायक पंचम रूप लम्बोदर  का धरते ;

करें सवारी मूषक की क्रोधासुर  दंभ हैं हरते ,

हे गणपति तेरी जय जयकार !

हे गजानन तेरी जय जयकार !विकट नाम के षष्ट विनायक सौर ब्रह्म के धारक ;

है मयूर वाहन इनका ये कामासुर संहारक ,

हे गणाध्यक्ष तेरी जय जयकार !

हे अग्रपूज्य तेरी जय जयकार !

विघ्नराज अवतार प्रभु का सप्तम आप विनायक ;

वाहन शेषनाग है इनका ममतासुर  संहारक ,

हे विघ्नहर्ता तेरी जय जयकार !

हे विघ्ननाशक तेरी जय जयकार !

धूम्रवर्ण हैं अष्टविनायक शिव ब्रह्म  रूप  प्रभु का ;

अभिमानासुर संहारक मूषक वाहन है इनका ,

हे महोदर  तेरी जय जयकार !

हे लम्बोदर तेरी जय जयकार !


श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें !

शिखा कौशिक

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