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बीवी और शौहर

! अब लिखो बिना डरे !
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बीवी और शौहर

रात भर जागी बीवी दर्द से जो तडपा शौहर ;
कभी बीवी के लिए क्यों नहीं जगता शौहर ?

करे जो काम बीवी फ़र्ज़ हैं उसको कहते ; अपने हर एक काम को अहसान क्यों कहता शौहर ?

रहो हद में ये हुक्म देता बीवी को ;
मगर खुद पर कोई बंदिश नहीं रखता शौहर .

नहीं है हक़ बीवी को उठा के देख ले आँखें ;
जरा सी बात पर क्यों हाथ उठाता शौहर ?

शौहर के लिए दुनिया छोड़ देती बीवी ;
दुनिया के कहने पर उसी को छोड़ता शौहर .

शिखा कौशिक

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